हमारे नेता कितनी ही बेतुकी बातों और फ़ालतू के मुद्दों को जोर शोर से उठाकर संसद से बहिर्गमन कर जाते हैं. आज तक हमने कभी नहीं सुना कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर किसी भी राजनितिक दल ने ना तो कोई प्रदर्शन ही किया है और ना ही संसद की कार्यवाही में जोर शोर से उठाया है. जबकि हकीकत यह है कि आज सबसे बड़ा मुद्दा यही है. कितने आश्चर्य की बात है कि भ्रष्टाचार कभी कोई चुनाव का मुद्दा नहीं बन पाया. इसका सबसे बड़ा कारण शायद यही हो सकता है कि नेता स्वयं हर साल हजारों करोड़ रुपयों का घोटाला कर जाते हैं और दूसरे साल फिर से ऐसे घोटाले दोहराने के लिए तैयार हो जाते हैं.
पिछले लोकसभा चुनावों के ठीक पहले श्री आडवाणी जी ने प्रेस कॉन्फरेंस कर स्विस बैंक का पैसा सत्ता में आते ही सौ दिनों में भारत लाने का वादा किया था. लेकिन जनता ने उनके दल को सत्ता नहीं सौंपी. कारण स्पष्ट है. जो वस्तु सामने है उसे नहीं लेना और दूर किसी और के घर में रखी खुद की वस्तु के लिए कसमे खाना जनता के गले उतरा नहीं और बी जे पी चुनाव हार गई. अगर श्री आडवाणी जी भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने का वादा करते तो शायद जनता उन्हें पदासीन भी कर देती.
कोई भी सरकारी दफ्तर ऐसा नहीं है जहाँ भ्रष्टाचार नहीं होता. लेकिन एक भी नेता या एक भी राजनीतिक दल इसे मुद्दा बनाकर आन्दोलन नहीं करता है.
स्विस बैंक जाने की आवश्यकता नहीं है. अगर भारत देश के तमाम राजनेताओं और सरकारी अफसरों का काला धन भी राष्ट्रीय खजाने में आ जाए तो शायद स्विस बैंक की रकम भी शर्मा जायेगी. लेकिन ईमानदारी से यह काम करेगा कौन?
कहिये आडवाणी जी; क्या आप प्रधानमंत्री बनते ही यह काम करने को तैयार हो जायेंगे?
राहुल जी; देश की जनता को आपे बड़ी उम्मीदें है? क्या आप इस कार्य को अंजाम दे सकते हैं?
ये हमारे देश के विकास में सबसे बड़ी बाधा है. हर सरकारी महकमा केवल रिश्वतखोरी में लगा हुआ है. आप कोई भी विभाग देख लीजिये. सरकार ने भी सभी विभागों की कार्य-प्रणाली और अधिकार ऐसे बनाए हैं कि जनता बिना रिश्वत दिए अपना कोई भी काम करवा ही नहीं सकती. हर सरकारी विभाग के पास अनगिनत अधिकार है. आप किसी से भी नहीं बच सकते. सरकारी कर्मचारियों को अच्छी-खासी तनख्वाह मिलती है. महंगाई भत्ते की समय समय पर किश्तें मिल जाति है.. वेतन आयोग की सिफारिशें भी इन्हें लाभ पहुंचाती है. लेकिन फिर भी रिश्वत इनकी आदत है. इनके हिसाब से रिश्वत जनता के काम करने का शुल्क है. तनख्वाह उन्हें घर से आने और वापस घर जाने के लिए मिलती है.
क्या जनता खुद एकजुट होकर ये काम नहीं कर सकती???????
कहिये आडवाणी जी; क्या आप प्रधानमंत्री बनते ही यह काम करने को तैयार हो जायेंगे?
राहुल जी; देश की जनता को आपे बड़ी उम्मीदें है? क्या आप इस कार्य को अंजाम दे सकते हैं?
ये हमारे देश के विकास में सबसे बड़ी बाधा है. हर सरकारी महकमा केवल रिश्वतखोरी में लगा हुआ है. आप कोई भी विभाग देख लीजिये. सरकार ने भी सभी विभागों की कार्य-प्रणाली और अधिकार ऐसे बनाए हैं कि जनता बिना रिश्वत दिए अपना कोई भी काम करवा ही नहीं सकती. हर सरकारी विभाग के पास अनगिनत अधिकार है. आप किसी से भी नहीं बच सकते. सरकारी कर्मचारियों को अच्छी-खासी तनख्वाह मिलती है. महंगाई भत्ते की समय समय पर किश्तें मिल जाति है.. वेतन आयोग की सिफारिशें भी इन्हें लाभ पहुंचाती है. लेकिन फिर भी रिश्वत इनकी आदत है. इनके हिसाब से रिश्वत जनता के काम करने का शुल्क है. तनख्वाह उन्हें घर से आने और वापस घर जाने के लिए मिलती है.
क्या जनता खुद एकजुट होकर ये काम नहीं कर सकती???????